जालंधर की 135 साल पुरानी गोलकनाथ चर्च बेचने की हो रही कोशिश, यूसीएनईटी की शिकायत, DC ने रुकवाई रजिस्ट्री

जालंधर की 135 साल पुरानी गोलकनाथ चर्च बेचने की हो रही कोशिश, यूसीएनईटी की शिकायत, DC ने रुकवाई रजिस्ट्री

पंजाब में जालंधर की सबसे पुरानी चर्च में से एक चर्च को लुधियाना के नटवर लाल ने बेच दिया। आरोपी ने चर्च की जगह दिलाने के बदले में करीब पांच करोड़ रुपए भी ले लिए। इसे लेकर कमिश्नरेट पुलिस को शिकायत दी गई है। वहीं, जालंधर के डीसी हिमांशु अग्रवाल ने उक्त रजिस्ट्री होने पर रोक लगा दी है और मामले में जांच के आदेश दिए हैं। जालंधर के मिशन कंपाउंड में स्थित गोलकनाथ चर्च के बाहर शुक्रवार को रात इसे लेकर जमकर हंगामा भी हुआ, मगर पुलिस ने किसी तरह सारा मामला शांत करवाया।

लुधियाना के ईसा नगर के रहने वाले नटवर लाल जॉर्डन मसीह ने पांच करोड़ रुपए जमा कराकर जालंधर के मिशन कंपाउंड स्थित 135 साल पुराने गोलकनाथ चर्च का सौदा किया था। दो दिन बाद चर्च की जमीन की रजिस्ट्री होने वाली थी। लेकिन उससे पहले ही यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट के अधिकारियों को इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिल गई।

ट्रस्ट सचिव अमित के. प्रकाश ने कहा- पिछले मंगलवार को उन्हें पता चला कि जालंधर के आदर्श नगर स्थित ऐतिहासिक गोलकनाथ चर्च दो दिन में पंजीकृत होने जा रहा है। उन्हें चर्च की 24 कनाल से अधिक जमीन के लिए लिए गए पांच करोड़ रुपये के स्टेटमेंट की कॉपी मिली। पता चला कि लुधियाना के ईसा नगर निवासी जॉर्डन मसीह ने जालंधर के लाडोवाली रोड निवासी बाबा दत्त से चर्च का सौदा किया है।

उन्होंने तुरंत जालंधर आकर तहसीलदार-1 मनिंदर सिंह को पूरा मामला बताया और चर्च की जमीन की रजिस्ट्री रुकवा दी। फिलहाल अभी उक्त मामला दर्ज नहीं किया गया है।

अमित प्रकाश ने बताया कि जॉर्डन मसीह ने यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट के नाम से फर्जी ट्रस्ट बनाकर यह धोखाधड़ी की है। बयान में उन्होंने चर्च की जमीन का खसरा नंबर तक लिखा है। फिलहाल जॉर्डन मसीह और बाबा दत्त नाम के दो शख्स ही इस धोखाधड़ी में शामिल पाए गए हैं।

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मामले के खुलासे के बाद बताया जा रहा है कि जॉर्डन मसीह ने दो साल पहले सहारनपुर में चर्च की जमीन बेचने की कोशिश की थी। वहां उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उसे और उसके साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। ट्रस्ट के पदाधिकारियों के मुताबिक उस मामले में वह जमानत पर थे।

गोलकनाथ चटर्जी पंजाब के रहने वाले नहीं थे। मूल रूप से वह बंगाल के थे। ब्राह्णण समाज से होने के बाद भी उन्होंने क्रिश्चियन धर्म से प्रभावित होकर इसका प्रचार-प्रसार शुरू किया था। उनके निधन के चार साल बाद वर्ष 1895 में इस चर्च का निर्माण करवाया गया और इसका नाम उन पर रखा गया। जिले की ऐतिहासिक इमारतों में शुमार चर्च में राज्य भर से श्रद्धालु नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं। इस चर्च का उद्घाटन चार्ल्स बैटी न्यूटन ने किया था।

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