केरल में निपाह वायरस कहर ,दो लोगों की मौत

केरल में निपाह वायरस कहर ,दो लोगों की मौत

केरल के पलक्कड़ जिले में निपाह वायरस से 58 साल का एक व्यक्ति संक्रमित पाया गया था. उनका इलाज हो रहा था लेकिन बाद में उनकी मौत हो गई. अब स्वास्थ्य विभाग द्वारा पलक्कड़, मलप्पुरम, कोज़ीकोड़, कन्नूर, वायनाड और त्रिशूर जिलों में उच्च सतर्कता बता दी गई है. कुल मिलाकर लगभग 485 लोगों का नाम संपर्क सूची में रखा गया है, जिनमें से दर्जनों को उच्च जोखिम मानते हुए क्वारंटीन कर दिया गया है.

केरल में एक बार फिर निपाह वायरस ने दस्तक दी है, जहां पलक्कड़ जिले में एक व्यक्ति की इस संक्रमण से मौत हो गई. हाल के दिनों में कुछ दो लोग इस वायरस से जान गंवा चुके हैं और दर्जनों लोगों को निगरानी में रखा गया है. यह वायरस आमतौर पर चमगादड़ों और संक्रमित जानवरों से इंसानों में फैलता है, और इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी से लेकर कोमा तक हो सकते हैं. फिलहाल इसके लिए कोई टीका या दवा नहीं है, इसलिए सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है. सरकार ने कई जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है. खासकर अस्पतालों और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने की सलाह दी गई है.

क्या है Nipah Virus

महामारी विशेषज्ञ डॉ जुगल किशोर बताते हैं किनिपाह वायरस एक जानलेवा ज़ूनोटिक वायरस है, जिसका मुख्य स्त्रोत फल खाने वाले चमगादड़ होते हैं. यह वायरस संक्रमित जानवरों, उनके मल-मूत्र, या संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क से फैल सकता है . लक्षण आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में परेशानी, उल्टी, ग़लती बोलना, दौरे, दौरे पड़ते हुए कोमा तक पहुंच सकते हैं. इसके ज़्यादातर मामले में 4075% लोग मौत की चपेट में आ जाते हैं.

निपाह वायरस एक ज़ूनोटिक वायरस है, यानी ये जानवरों से इंसानों में फैलता है. इसके फैलने के कुछ मुख्य स्रोत हैं-

चमगादड़ (Fruit Bats)– यह वायरस सबसे ज़्यादा फलों को खाने वाले चमगादड़ों में पाया जाता है. अगर आप ऐसे फल खा लें जिन पर चमगादड़ ने मुंह मारा हो या पेशाब किया हो, तो वायरस शरीर में जा सकता है.

संक्रमित जानवर (जैसे सुअर)– सुअर जैसे पालतू जानवरों से भी यह वायरस फैल सकता है, खासतौर पर तब जब वे चमगादड़ों के संपर्क में आए हों.

इंसान से इंसान में-

-संक्रमित व्यक्ति के बेहद पास आने पर

– उसके थूक, खून, या पेशाब के संपर्क में आने पर

– उसके देखभाल करने वालों, खासकर अस्पताल स्टाफ को

– संक्रमित सतह या बर्तन छूने से भी फैल सकता है

डॉक्टरों ने जनता से अस्पताल आने-जाने में सावधानी बरतने और केवल ज़रूरत पड़ने पर ही जाने की सलाह दी है. साथ ही मरीजों, डॉक्टरों और रिश्तेदारों के लिए मास्क पहनना ज़रूरी कर दिया गया है. कोरोना वायरस की तरह ही, अब निपाह के मरीजों के आस-पास आने वाले लोगों को भी लगभग 21 दिन तक निगरानी में रखा जाएगा .

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ऐसे बचाव कर सकते हैं-

– चमगादड़ या संक्रमित जानवरों से दूर रहें. – कच्चे खजूर के रस या पानी से परहेज़ करें. – सामाजिक दूरी बनाए रखें और तुरंत अस्पताल पहुंचें अगर बुखार या सांस की तकलीफ हो. – एक ही कमरे में एक मरीज और एक देखभाल करने वाला व्यक्ति हो, दोनों मास्क पहनें. – स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मिल रही सलाह का पालन करें.

निपाह वायरस अब भी जानलेवा है और कोई भी बचाव ज़रूरी है. घर-परिवार में साफ-सफाई और सूक्ष्मश्वास के ज़रिए इसे फैलने से रोका जा सकता है. सतर्कता ही इस खतरनाक वायरस को रोकने की सबसे अच्छी दवा है.

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