पराली के धुएं पर ब्लेम गेम नहीं होनी चाहिए, प्रदेश से सौतेली मां जैसा व्यवहार हुआ : CM मान

 पराली के धुएं पर ब्लेम गेम नहीं होनी चाहिए, प्रदेश से सौतेली मां जैसा व्यवहार हुआ : CM मान

पंजाब यूनिवर्सिटी में चल रहे पंजाब विजन 2047 में पहुंचे सीएम भगवंत मान ने पराली के मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र सरकार पर जुबानी हमला बोला। उन्होंने कहा कि पराली की समस्या के लिए हमें जिम्मेदार ठहराया जाता है। इस मुद्दे पर ब्लेम गेम नहीं होनी चाहिए। इस समस्या के हल के लिए होम वर्क करना होगा। वहीं, फसली विभिन्नता पर जोर देते हुए कहा कि किसानों को धान के बदले उगाई जाने वाली फसलों पर पूरा मूल्य मिले। यह समस्या मध्य प्रदेश, यूपी और हरियाणा सबकी है।

सीएम ने कहा कि चावल पैदा करने से ही पराली पैदा होती है, लेकिन चावल पंजाबियों की डाइट नहीं है। हम तो 10वीं वाले दिन चावल खाते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को पहले जब अनाज चाहिए होता है तो अन्नतदाता कहते हैं, जबकि बाद में कहा जाता है कि पर्चा दर्ज करे। वहीं, उन्होंने कि पहले तो दिल्ली वाले कहते हैं कि पंजाब का धुआं आ रहा है। हमारा ही धुआं दिल्ली, हरियाणा सब जगह घूम रहा है। अब तो पाकिस्तान पंजाब की मुख्यमंत्री मरहम नवाज का भी इस मुद्दे पर बयान आया है, वह कहती हैं कि मैं इस मामले में भगवंत मान को पत्र लिखूंगी। सीएम ने कहा कि हम तो पहले ही एक पाकिस्तान वाली से दुखी रहे हैं। अब तू भी बोलने लगी हैं।

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सीएम ने कह कि साढ़े तीन लाख लोगों ने मुझे पंजाब लाणेदार यानी की मुखिया चुना है। लाणेदार की भी जिम्मेदारी बनती है कि परिवार के सभी मेंबरों की सुने। ऐसे में पंजाब को आगे बढ़ाने के लिए सबकी राय जरूरी है। कुदरत ने पंजाब में कमी नहीं छोड़ी है, जो कि राज्य को कामयाबी की तरफ लेकर न जाती हो। पंजाब के पिछड़ने के कारण राजनीतिक है। क्योंकि जिनको हमने चुना, उन्होंने यह फर्ज ही नहीं निभाया। इसकी वजह पता नहीं है कि क्या वह इस बारे में अनजान थे। इस वजह से हमारी इच्छाएं तक ही मर गई है।

सीएम ने कहा कि पंजाब के साथ हमेशा सौतेली मां जैसे व्यवहार हुआ है। क्योंकि केंद्र में कोई और सरकार रही तो राज्य में कोई और सरकार रही। उन्होंने कहा कि पंजाब देश फूड बॉल है। हम देश को 182 लाख मीट्रिक चावल दे रहे है। हम देश को चावल नहीं दे रहे है, बल्कि अपना पानी भी दे रहे हैं। धान पैदा करने से पानी का भूजल लगातार गिर रहा है। आधा पंजाब डॉर्क जोन में आ गया है। इसके लिए किसान भी जिम्मेदार नहीं है। क्योंकि उनके पास विकल्प तक नहीं है। वहीं, किसानों को आर्थिक मदद करनी होगी।

पराली जलाने के लिए एनजीटी से लेकर सारे माहिर पंजाब को जिम्मेदार ठहरा है। कबूतर की तरह आंखें बंद करने से इस समस्या का हल नहीं होगा। कैंसर का इलाज आयोडेक्स से नहीं होता है। ऐसे में दूसरे का तुजुर्बा प्रयोग कर लो, तब तक स्थिति सुधर सके। उन्होंने कहा कि पानी को बेचने की जरूरत है। एक किलो चावल के लिए 35 लीटर पानी प्रयोग होता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम इसकी पड़ताल कर रहे है। किसान भी पराली जलाना नहीं चाहता है।

केंद्र सरकार कभी आरडीएफ, कभी एनएचएम का पैसा रोक लेती है। हर रोज कोई न कोई आदेश आते रहते है। जब अनाज की जरूरत थी तो पंजाब ने देश की बाजू पकड़ी थी। वहीं, अब केंद्र को भी अपना फर्ज निभाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे युवा तो विदेश जा रहे हैं। हमने तो रेडियो के बैंड सुने थे, लेकिन अब आइलेट्स के बैंड याद रह गए। आजकल तो अखबारों में आता है कि 6 बैंड वाला चाहिए या 7 बैंड चाहिए। उन्होंने हाल में मौजूद युवाओं को कहा कि आप अच्छे हो कि यहां तक पहुंचे हो हमारे यहां तो आटा दाल स्कीम ने ही युवाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया।

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