पीएम मोदी और अमीर की एक मुलाकात ने कर दिया काम, फांसी की सजा से कैस बचे आठ पूर्व नौसैनिक?
Qatar Navy Officer News कतर में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर रोक लग गई है। फांसी पर रोक को भारत की कूटनीति की बड़ी जीत माना जा रहा है। इसी के साथ इन सभी की भारत वापसी की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस फैसले के पीछे पीएम मोदी और कतर के शासक […]
Qatar Navy Officer News कतर में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर रोक लग गई है। फांसी पर रोक को भारत की कूटनीति की बड़ी जीत माना जा रहा है। इसी के साथ इन सभी की भारत वापसी की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस फैसले के पीछे पीएम मोदी और कतर के शासक शेख की मुलाकात को भी बताया जा रहा है।
दरअसल, कतर की एक अपीलीय अदालत ने सजायाफ्ता पूर्व नौसैनिक अधिकारियों की तरफ से दायर मामले में सुनवाई करते हुए सभी की फांसी की सजा को घटाने का निर्देश दिया है। विदेश मंत्रालय ने इसे बड़ी जीत बताते हुए कहा कि वो अब भी इन भारतीयों के साथ खड़े हैं और कानूनी सलाहकारों के साथ मिल कर आगे की कार्यवाही पर विचार करेगा।
पीएम मोदी की एक मुलाकात ने कर दिया कमाल
कतर (Qatar Navy Officer News) की अदालत द्वारा 8 भारतीयों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद से ही भारत सरकार ने अपने स्तर पर उन्हें बचाने की कोशिशें शुरू कर दी थी। इस बीच पीएम मोदी भी पर्दे के पीछे से इस मामले पर नजर बनाए हुए थे।
पूर्व सैनिकों को सजा मिलने के बाद 1 दिसंबर को पर्यावरण सुरक्षा सम्मेलन (दुबई) से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम से मुलाकात की थी। माना जाता है कि इस संक्षिप्त मुलाकात में भारतीय पीएम ने इन अधिकारियों के मामले को उठाया था। समझा जाता है कि इस मुलाकात का काफी असर रहा, जिसके बाद कतर का रुख भी नरम हुआ।
राजदूत को मिलने की दी गई इजाजत
इसके बाद 3 दिसंबर को दोहा स्थित भारतीय राजदूत को पूर्व नौसैनिकों से मिलने की इजाजत दी गई और दूसरी अदालत में फैसले के विरोध के बाद कल फांसी पर रोक लग गई।
अब भी हैं कई विकल्प
इन सभी अधिकारियों को अलग-अलग कैद की सजा सुनाई गई है। लेकिन इस सजा को भी आगे चुनौती देने का विकल्प है। साथ ही इनके परिवार की तरफ से कतर के अमीर के पास कैद की सजा को माफ करने की अपील का भी अधिकार होगा। लेकिन यह एक वर्ष बाद ही हो सकता है।
इस बीच भारत और कतर के बीच सजायाफ्ता कैदियों को एक दूसरे देश में स्थानांतरित करने का भी समझौता हुआ है। इसके तहत इन्हें एक निश्चित अंतराल के बाद शेष कैद की सजा काटने के लिए भारत भी भेजा सकता है। लेकिन इन मुद्दों पर फैसला अपीलीय न्यायालय के फैसले का विस्तार से अध्ययन के बाद ही किया जाएगा।